भारत में कृषि को अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता है। हालांकि पिछले कुछ समय से भारत की कृषि विकास दर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। हाल ही में जी हुए आंकड़ों के अनुसार भारत के कृषि विकास दर 2% रही है जो की जो कि पिछले क्वार्टर में 3.7 प्रतिशत थी। ऐसे में इसमें 1.7% की गिरावट देखने को मिली है। जो कि चिंता का सब्जेक्ट है।
भारत में कृषि रोजगार का भी एक प्रमुख साधन है। भारत में फसल कटाई के समय लाखों लोगों को अस्थाई रोजगार कृषि के माध्यम से मिलता है।
कृषि विकास दर में गिरावट
भारत के कृषि विकास दर में पिछले कुछ समय से गिरावट देखने को मिल रही है। भारत में किसानों की आय भी उतनी नहीं बढ़ पाई है।जितना की सरकार ने लक्ष्य रखा था। आनेवाले समय इसमें और ज्यादा भारी गिरावट की उम्मीद नहीं है ।लेकिन फिर भी इसमें लगातार गिरावट हो रही है।
उम्मीद की जा रही है कि, आने वाले समय में भारतीय कृषि के विकास दर पिछले साल के मुकाबले 2% या इससे भी नीचे रह सकती है। ऐसे में आने वाले समय में देखना होगा की कितनी विकास दर भारत में कृषि हासिल कर सकता है।
भारत की विकास दर इस बात पर भी निर्भर करती है कि, भारतीय कृषि की विकास दर क्या रहती है। 70% से ज्यादा योगदान भारतीय कृषि का रहता है। ऐसे में आने वाले समय में इसके और ज्यादा सुधार की उम्मीद हम कर सकते हैं।
अतिवृष्टि से प्रभावित हुई भारतीय कृषि
इस साल के शुरुआत में उम्मीद की जा रही थी कि, इस साल भारत में कृषि बेहतर परफॉर्मेंस दे सकती है। हालांकि अब समय गुजरने के साथ एक्सपर्ट इसमें गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं।इसके दो मुख्य कारण है।
यदि आप उत्तर पूर्व के राज्यों को देखेंगे तो, वहां पर भारी बारिश हो रही है। इसमें असम,मणिपुर मिजोरम मेघालय जैसे राज्य शामिल है।
इस साल उत्तर भारत के भी कुछ राज्यों में भी उम्मीद से ज्यादा बारिश देखने को मिली है। इसमें राजस्थान,बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके सामिल है।
भारी बारिश के कारण किसानों की फसल पानी में डूब गई है। और पानी में डूबने की वजह से फसल बर्बाद हो गई है। ऐसे में कम पैदावार की उम्मीद एक्सपर्ट लग रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में जहां पर गन्ने का उत्पादन बहुत भारी मात्रा में किया जाता है। वहां इस बार बारिश में कमी देखने को मिली है। आपको पहले ही पता है कि गन्ने के उत्पादन के लिए बहुत अधिक मात्रा में पानी की जरूरत होती है।
इसके अलावा इन राज्यों में धान का भी उत्पादन किया जाता है। यह भी एक बहुत ज्यादा वाटर इंटेंसिव फसल में गिनी जाती है। ऐसे में कम बारिश के कारण फसल उत्पादन में गिरावट का सामना किसानों को करना पड़ सकता है।
हालांकि बुवाई के आंकड़े देखेंगे तो, भारत सरकार के अनुसार इस बार बुवाई में 2% की वृद्धि देखने को मिली है। केवल कपास ही एक ऐसी फसल है, जिसकी बुवाई में पिछली बार से कमी देखने को मिली है।
यदि हम पिछले साल के आंकड़ों की बात करें तो, उस समय भारतीय मानसून में गिरावट देखने को मिली थी। और सामान्य से कम बारिश हुई थी। इसकी वजह से भारतीय कृषि बुरी तरीके से प्रभावित हुई थी। इसी वजह से भारतीय कृषि को मानसून का जुआ भी कहते हैं।
नही हो पाई किसानों की आय दोगुनी
जब साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आई थी। तब सरकार ने वादा किया था कि वह 2019 तक किसानों की आई दोगुनी कर देगी। हालांकि सरकारी इसमें सफल होती हुई नजर आ रही है। यदि हम आंकड़ों की बात करें तो साल 2013-14 में किसानों की मंथली आय 6430 थी। जो की 2019-20 में बढ़कर ₹10000 मंथली हो गई है।
यदि इसमें महंगाई भी जोड़ दें तो, यह इनकम एक तरीके से स्थिर रही है। भारत में सालाना महंगाई दर 5 से 6% के आसपास रहती है। ऐसे में महंगाई दर जोड़ने के बाद किसानों की आय लगभग स्थिर रही है जो की एक चिंता का विषय है।
सरकार को इस बारे में कुछ ठोस निर्णय करने की जरूरत है। जिससे कि भारतीय किसानों की मुश्किलों को कुछ हल किया जा सके। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो, भारतीय कृषि की मुस्कीले आने वाले समय में और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
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