हमारे सामने निवेश करने के लिए मुख्य तौर पर शेयर बाजार में दो विकल्प होते हैं। जिसमें एक डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट होता है। जिसे हम ट्रेडिंग कहते हैं। दूसरा म्यूच्यूअल फंड होते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर भी आपको अच्छा रिटर्न मिलता है।
म्यूच्यूअल फंड डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट से कम डिस्को वाले होते हैं। आपको किसी भी प्रकार की चिंता लेने की जरूरत नहीं होती है। आपके लिए एक स्टॉक मैनेजर होता है। जो कि आपके किसी म्यूचुअल फंड में लगाए हुए पैसे को निवेश करता रहता है।आपको बस एक सही म्यूच्यूअल फंड का चुनाव करना होता है। जिससे आपका अच्छा रिटर्न बनता रहे।
लेकिन फिर डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की बात आती है तो, यहां पर आपको ज्यादा रिटर्न मिलते हैं। लेकिन रिस्क भी उतना ही ज्यादा होता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि हमें म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए या फिर हमें डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट का रास्ता चुनना चाहिए। सबसे पहले समझने वाली बात यह है कि म्यूचुअल फंड और डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट स्टॉक में मूलभूत अंतर क्या होता है?
स्टॉक
कोई भी स्टॉक यदि आप डायरेक्ट खरीद रहे हैं तो, वह आपको यह ओनरशिप प्रोवाइड करवाता है। यदि आप रिलायंस टाटा या किसी भी कंपनी के शेयर डायरेक्ट खरीदते हैं तो, आप उस कंपनी के पार्ट ओनर है। कंपनी का बिजनेस अच्छा चल रहा है तो इस पर आपको अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है। इसके अलावा कंपनी आपको अच्छा डिविडेंड भी देती है।
इसी तरीके से यदि कंपनी का बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा है तो कंपनी का शेयर प्राइस गिर जाता है। इससे आपको सीधा नुकसान होता है।
डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के फायदे
डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट करने पर आपको बहुत ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है। आप अपना रिस्क मैनेजमेंट खुद तय कर सकते हैं। इसके अलावा आप यह भी तय कर सकते हैं कि, आपको किस समय किस कंपनी में कितना निवेश करना है।
न्यूनतम ट्रेडिंग कॉस्ट
आजकल डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट पर न्यूनतम चार्ज होते हैं। ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म तो आजकल जीरो ट्रेडिंग फीस पर भी काम कर रही है। ऐसे में आप यह कह सकते हैं कि लगभग आपको ट्रेडिंग करने के लिए कुछ भी अतिरिक्त भुगतान करने की जरूरत नहीं होती है।
Short term
यदि आप सीधा निवेश कर रहे हैं तो आप न्यूनतम समय के लिए भी निवेश कर सकते हैंं। यहां तक कि आप कुछ घंटों के लिए भी निवेश कर सकते हैं। और इस पर भी आप अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं।
Direct investment के नुकसान
यहां पर यह समझना जरूरी है कि यदि आप डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं तो, रिस्क भी आपका खुद का होगा। जिस प्रकार से डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट पर अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है। उतना ही ज्यादा खतरा नुकसान का भी रहता है।
रिसर्च के लिए भी आपको बहुत ज्यादा टाइम देने की जरूरत होती है। सभी लोगों के पास इतना ज्यादा टाइम नहीं होता है। इसीलिए लोग म्यूच्यूअल फंड का रास्ता चुनते हैं।
शेयर मार्केट में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव लगा रहता है। ऐसे में आपको इस उतार-चढ़ाव को मैं मैनेज करना रहता है। इस कारण आपके दिमाग में हमेशा स्ट्रेस रहता है। इस स्ट्रेस के कारण हम एक गलत डिसीजन भी ले सकते हैं। इससे आपके नुकसान होने का खतरा हमेशा ही बना रहता है।
Mutual fund
म्यूच्यूअल फंड एक प्रकार का पूल होता है। यहां पर एक इन्वेस्टमेंट मैनेजर होता है। जिस सभी लोग मिलकर पैसा देते हैं। फंड मैनेजर आपस निवेश करने की लागत और फीस लेता है।
म्यूच्यूअल फड भी बहुत प्रकार के होते हैं। जिसमें इंडेक्स फंड इक्विटी फंड आदि।
न्यूनतम लागत
म्यूचुअल फंड में निवेश करने की लागत लगभग न्यूनतम होती है। इसमें आपको किसी प्रकार की चिंता भी करने की जरूरत नहीं होती है। आपको हर महीने एक निश्चित रकम जमा करानी होती है। उसके बदले आपको रिटर्न मिलता रहता है।
पोर्टफोलियो में विविधता
यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं तो, आप एक साथ कई स्टॉक में निवेश कर रहे होते हैं। इससे आपके पोर्टफोलियो में विविधता आ जाती है। इससे आपका रिस्क भी कम हो जाता है।
आपके पोर्टफोलियो में काफी ज्यादा विविधता के कारण मार्केट के उतार-चढ़ाव से भी आप काम प्रभावित होते हैं। इससे आपको एक निश्चित रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है।
Tax benefit
यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं तो इसमें आपको टैक्स बेनिफिट भी मिल सकता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आप टैक्स के रूप में ₹50000 तक बचा सकते हैं। इससे म्यूच्यूअल फंड और भी ज्यादा आकर्षक बन जाते हैं।
यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो कि हर साल टैक्स का भुगतान करते हैं तो, फिर आपको कुछ हिस्सा म्यूच्यूअल फंड का रखना चाहिए। जिससे आप अपने टैक्स में काफी ज्यादा बचत कर सकते हैं।
लेकिन यदि आप टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं तो, फिर आपको इस पर विचार जरूर करना चाहिए कि आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। या फिर डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं।
अधिक लागत
कुछ म्यूच्यूअल फंड्स की एक्सपेंस और फीस की लागत बहुत ज्यादा होती है। आप बीच में ही किसी म्यूच्यूअल फंड को छोड़ रहे हैं तो, इससे आपकी लागत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसे एग्जिट लागत कहते हैं।
अंडर परफॉर्मेंस
आप एक गलत म्यूच्यूअल फंड का चुनाव करते हैं तो इससे आपको अंडरपरफारमेंस का खतरा भी रहता है। यदि आपका म्यूच्यूअल फंड मैनेजर गलत स्टॉक में निवेश करता है तो, इससे आपको कम रिटर्न मिलने का खतरा भी रहता है।
कभी-कभी यह भी देखा जाता है कि आप यदि महंगाई से इसे जोड़ते हैं तो, आपको नुकसान होने का खतरा भी रहता है।
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