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भारतीय अर्थव्यवस्था कर रही है मुश्किलों का सामना

 भारतीय अर्थव्यवस्था में इस समय भारी परेशानियों देखने को मिल रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 6.2% रही है। जो की उम्मीद से बहुत ज्यादा काम है। आने वाले समय में भी इसमें कोई भी प्रकार की बढ़ोतरी होने की संभावना ही नहीं जताई जा रही है।

कौन सी समस्याएं हैं? जिनकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स की माने तो अदानी हिडेनबर्ग विवाद इसकी में वजह माना जा रहा है।

उम्मीद से कम रही आर्थिक विकास दर 

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने भारत की अर्थव्यवस्था के लिए 7.2% की रफ्तार से आगे बढ़ाने की उम्मीद जताई थी। हालांकि वास्तविक आंकड़े इससे बहुत नीचे आए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में भी इसमें कोईभी प्रकार का सुधार देखने को नहीं मिल सकता है। 

कहीं विभिन्न रेटिंग एजेंसीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.8 प्रतिशत से आगे बढ़ाने की उम्मीद लगाई थी। हालांकि यह आंकड़ा उससे भी नीचे 6.5% पर रुक गया। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या समस्याएं आ रही है ? इसको समझना बेहद जरूरी है। 

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि को एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। पर अब इसकी विकास दर में भी गिरावट देखने को मिली है  इससे पहले के क्वार्टर में भारतीय कृषि की की विकास दर 2.7% थी। जो कि अब कम होकर 2% पर रह गई है। यह पिछले कुछ समय से लगातार गिरावट विकास दर में देख रही है। 

हालांकि इस साल मानसून अच्छा रहने की वजह से ज्यादा विकास दर कृषि मैं उम्मीद लगाई जा रही है। हलांकि गुजरात, मध्य प्रदेश, और नॉर्थ ईस्ट के राज्य में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। ऐसे में वास्तविक उत्पादन और विकास दर इससे भी नीचे जा सकता है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

एफडीआई निवेश में आ रही है भारी कमी 

भारतीय अर्थव्यवस्था के भारत चीन के बराबर खड़े करने के सपने को यदि हमें पूरा करना है तो, भारतीय अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश की जरूरत होगी। हालांकि इस विदेशी निवेश में कमी देखी जा रही है  भारतीय एफडी इनफ्लो 11 साल की न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं  आने वाले समय में स्थितियों के और भी ज्यादा खराब होने की उम्मीद लगाई जा रही है  जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था केलिए एक बिल्कुल भी सही संकेत नही है।

यह स्थिति तब है जब भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिकॉर्ड विदेशी निवेश हासिल किया है। इसके अलावा हमारा शेयर बाजार को एस&पी के ग्लोबल इंडेक्स मैं शामिल कर लिया गया है। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में निवेश की कोई भी संभावना नही नजर नहीं आ रही है।

स्टार्टअप को फंडिंग विंटर का करना पड़ रहा है सामना 

 कोरोना के बाद से भारतीय स्टार्टअप इंडस्ट्री को भी विंटर फंडिंग का सामना करना पड़ रहा है  इसकी वजह से बहुत सारी स्टार्टअप बंद हो गए हैं। इसके अलावा बहुत सारे स्टार्टअप डेट फंडिंग हासिल कर रहे हैं  इसकी वजह से आने वाले समय में उनके लिए सरवाइव करना और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है। साल 2022-23 की बात करें तो इसमें 62% की गिरावट देखने को मिलीहै। इस दौरान भारतीय स्टार्टअप की फंडिंग 66908 करोड रुपए रही जो की, इससे पहले 180000 करोड रुपए से भी ज्यादा थी। ऐसे में इसमें 62% से भी ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है।

स्टार्टअप इंडस्ट्री में फंडिंग विंटर का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, इसके ओवरऑल वॉल्यूम में भी गिरावट देखने को मिल रही है। इससे 1 साल पहले वॉल्यूम 5144 था। जिसमें 72 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। और अब यह मात्र 1444 पर पर रुक गया है।

अदानी हिडेनबर्ग विवाद 

भारतीय अर्थव्यवस्था को एक और झटका अदानी हिडेनबर्ग विवाद सेभी देखने को मिला है। भारत की सबसे बड़े ग्रुप में से एक अदानी ग्रुप पर भारी वित्तीय अनियमिता के आरोप लगे हैं। अदानी पर हिडेनबर्ग ने यह आरोप लगाए हैं  हिडेनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अडानी ने गलत तरीके से अपने शेयर के भाव ऊपर किए हैं।

इसके अलावा मनी लांड्रिंग के आरोप अदानी ग्रुप पर लगाए हैं। बाद में सेबी जो कि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज को कंट्रोल करती है और एक रेगुलेटर है। उसने अदानी ग्रुप के खिलाफ इन आरोपों की जांच शुरू की। और बाद में बताया की हीन्डनबर्ग के किसी भी आप में कोई भी सच्चाई नहीं है। 

हालांकि बाद में हिडनबर्ग ने सेबी पर ही आरोप लगा दिए की सेबी प्रमुख ने अदानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश किया हुआ है। ऐसे में भारतीय स्टॉक एक्सचेंज रेगुलेटर ने अपनी जांच सही तरीके से नहीं की है  हाल ही के साल में स्टॉक एक्सचेंज पर बहुत गंभीर आरोप लगे हैं। 

इस तरीके के आरोपी के बाद अर्थव्यवस्था पर से विदेशी निवेशकों का भरोसा उठ सकता है  जिससे अंतिम रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है।


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