भारतीय बैंकिंग सिस्टम इस समय बढ़ती क्रेडिट ग्रोथ रेट के कारण मुश्किलों का सामना करना कर रहा है। इसके अलावा सेविंग्स अकाउंट में डिपॉजिट लगातार घट रहे हैं। इसके आलावा करंट अकाउंट मे भी डिपॉजिट लगातार कम होते हुए नज़र आ रहे हैं।
भारत में इस समय डिपॉजिट ग्रोथ रेट 11.7% पर पहुंच गई है। जो कि पिछले 10 साल में न्यूनतम है। आने वाले समय में इसमें और भी ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
इससे पहले जून 2023 में यह डिपॉजिट ग्रोथ रेट लगभग 13% थी। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
लगातार बढ़ रही है क्रेडिट ग्रोथ रेट
भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एक तरफ डिपॉजिट ग्रोथ रेट में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। दूसरी तरफ क्रेडिट ग्रोथ रेट में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
पर्सनल लोन की मांग में जबरदस्त 50% की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सर्विस सेक्टर में 41 प्रतिशत की ग्रोथ देखी गई है। वहीं कृषि सेक्टर में यह ग्रोथ रेट 38 परसेंट है।
सबसे कम क्रेडिट ग्रोथ रेट इंडस्ट्रियल सेक्टर में देखी जा रही है। यहां पर यह क्रेडिट ग्रोथ रेट 16 प्रतिशत है।
पर्सनल लोन की बढ़ती मांग बैंकों के लिए चिंता का विषय
इस समय सबसे ज्यादा मांग पर्सनल लोन के सेक्टर में देखने को मिल रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें लोगों को किसी भी तरीके की गारंटी नहीं रखनी पड़ती है। इसमें व्यक्ति को पर्सनल गारंटी पर ही लोन मिल जाता है। हालांकि अनसिक्योर्ड लोन भी कहते हैं। पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड होता है। ऐसे में आने वाले समय इसके बड़े संख्या में एनपीए होने की संभावना जताई जा रही है।
वर्तमान में पर्सनल लोन की ग्रोथ रेट 50% है। जो की अभी तक का उच्चतम स्तर है। हालांकि पर्सनल लोन अन्य लोन के मुकाबले ज्यादा ब्याज दर पर मिलता है। इसके बावजूद इसमें लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
क्यों बढ़ रही है पर्सनल लोन की मांग ?
पर्सनल लोन लेने के लिए ग्राहक को किसी भी तरीके की गारंटी देने की जरूरत नहीं पड़ती है। मिनिमम डॉक्यूमेंटेशन के आधार पर ही पर्सनल लोन मिल जाता है। इसमें मुख्य भूमिका आपकी क्रेडिट स्कोर की होती है।
थर्ड पार्टी डिजिटल एप्स के माध्यम से भी छोटे-छोटे पर्सनल लोन दिए जा रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में पर्सनल loan की मांग में और भी ज्यादा वृद्धि देखने को मिल सकती है।
पर्सनल लोन लोग अपने पर्सनल खर्चे के लिए भी ले रहे हैं। भारत में बढ़ती हुई बेरोजगारी के कारण लोग अपने खर्चे को पूरा करने के लिए पर्सनल लोन ले रहे हैं।
ऐसे में आने वाले समय में इन लोन खातों के बड़ी संख्या में एनपीए होने की संभवनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
न्यूनतम स्तर पर पहुंची डिपॉजिट ग्रोथ रेट
एक तरफ जहां क्रेडिट ग्रोथ रेट अपनी उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं दूसरी तरफ डिपॉजिट ग्रोथ रेट अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है।
ऐसे में बैंकों के लिए क्रेडिट और डिपॉजिट में संतुलन बिठाना आसान नहीं है। आने वाले समय में इस संतुलन में और भी ज्यादा कमी देखी जा सकती है।
जून 2023 में डिपॉजिट की दर 13.01% थी। जो की जून 2024 में कम होकर 11.7% रह गई है।
लोगों के पास बढ़ रहे हैं निवेश के अवसर
बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ मैं बैंकों में कमी का सबसे बड़ा कारण शेयर मार्केट बताया जा रहा है। इस समय भारतीय शेयर मार्केट अपने उच्चतम स्तर पर है। इसके अलावा लोग म्युचुअल फंड मैं भी शिप के माध्यम से निवेश कर रहे हैं। इस समय भारत में फोलियो की कुल संख्या 16 करोड़ को पार कर चुकी है।
डिमैट अकाउंट खोलना पहले के मुकाबले काफी ज्यादा आसान हो गया है। अब आप घर बैठे ही 5 मिनट में अपना डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं। इसकी वजह से भी लोगों का शेयर मार्केट की तरफ रुझान बड़ा है।
क्या कदम उठा सकता है आरबीआई ?
भारतीय बैंकिंग सेक्टर में बढ़ती संकट को देखते हुए आरबीआई कुछ कदम उठा सकता है। इसमें सबसे बड़ी घोषणा सीआरआर को लेकर हो सकती है। जो की वर्तमान में 4% है।माना जा रहा है कि आने वाले समय में आरबीआई इस लिमिट को काम करके 3%या 3.5% पर ला सकता है। इससे भारतीय बैंकों के पास लिक्विडिटी बढ़ेगी और इस संकट का समाधान किया जा सके।
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